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आवेदकों को कलेक्टर कोशलेंद्र विक्रम सिंह से न्याय की उम्मीद
डीआरटी ने कार्रवाई को बताया वैधानिक
भोपाल। शायद यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिले से दो कलेक्टर की पदस्थापना उपरांत उनके तबादले भी हो गए, लेकिन वे अतिक्रमण नहीं हटवा पाए और ना ही फरियादियों को कब्जा दिला पाए। आवेदकों को अब कलेक्टर भोपाल कोशलेंद्र विक्रम सिंह से न्याय की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक एक्सट्रोल कॉलेज के मालिक ज्ञानेंद्र भटनागर, शीला भटनागर, आदित्य भटनागर, सुदर्शना भटनागर व अभिनव भटनागर द्वारा कोलार के सर्वे क्रमांक 403/2 ग्राम बंजारी स्थित एक हेक्टेयर भूमि बंधक रखकर 4.75 करोड़ का होम लोन 19 जुलाई 2010 को तथा 40 लाख का व्यक्तिगण ऋण 26 जून 2015 को बैंक ऑफ बड़ोदा से लिया गया था। कर्जा नहीं चुकाने पर उक्त बैंक द्धारा 2017 में एनपीए घोषित कर नीलामी की कार्रवाई शुरू की गई।
बैंक द्धारा दिनांक 4 जनवरी 2023 को दैनिक भास्कर, दैनिक पत्रिका व दैनिक हितवाद में ई-नीलामी के संबंध में सूचना प्रकाशित की गई, हालांकि इसमें किसी प्रतिभागी ने भाग नहीं लिया। बैंक ने जब तीसरी बार ई-नीलामी के लिए संबंध में सूचना जाहिर की तो मुस्कान गुप्ता, सुनीता डेहरिया, सोनू पचौरी व एक अन्य ने इसमें भाग लिया और उन्हें सफल बोलीदाता चुना गया। ई-नीलामी में भाग लेने वाले प्रार्थियों ने बैंक द्धारा तय की गई राशि को निर्धारित तिथि में जमा करा दिया गया।
कलेक्टर की कार्रवाई को डीआरटी ने माना वैधानिक
वर्ष 2019 में भोपाल कलेक्टर ने सरफेसी एक्ट के तहत भौतिक कब्जा बैंक को दिलाया था, इस कार्रवाई को डीआरटी ने वैधानिक माना है। यहां बता दें कि नीलामी के बाद बैंक द्धारा लगाए गए तालों को तोडऩे के साथ उक्त संपत्ति पर जबरन कब्जा, विवादित करने की कोशिश की गई। इसके बाद बैंक ने कोलार थाने में ज्ञानेंद्र भटनागर, आदित्य भटनागर, शीला भटनागर एवं अन्य के विरूद्व एफआईआर दर्ज कराई, बताया जा रहा है कि इसमें अभी तक चालान प्रस्तुत नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो भटनागर परिवार ने कई बैंकों से कुल मिलाकर 200 करोड़ का लोन लिया है। लोन जमा नहीं करने पर एनपीए भी हुए हैँ। बताया जा रहा है कि इसकी लेकर आवेदकों ने शिकायत सीबीआई व लोकायुक्त में की है, जो कि वर्तमान में लंबित है। आवेदकों का कहना है कि लोकधन हड़पने वालों के विरूद्व आज नहीं तो कल कठोर कार्रवाई होगी। उनका कहना है कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं
एक ही प्रॉपर्टी पर लिए चार-चार लोन
जानकारी के मुताबिक एक ही प्रॉपर्टी पर इनके द्वारा चार चार लोन लिए गए। जहां उसी संपत्ति पर होम लोन 4करोड़ 75 लाख लोन लिया, इसके बाद फिर 40 लाख का व्यक्तिगत लोन लिया और 12-12 करोड़ के दो टर्म लोन लिए। बताया जा रहा है कि भटनागर परिवार द्वारा उक्त जमीन वर्ष 2005 में पांच लाख की खरीदी गई थी। इस तरह 5 लाख की जमीन पर 29 करोड़ का लोन लिया गया।
ग्रीन बेल्ट की जमीन को मिलीभगत कर आवासीय डार्यवसन दिखाया
सूत्रों की मानें तो राजस्व विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर कलियासोत नदी के किनारे की ग्रीन बेल्ट की जमीन को आवासीय दिखाकर गड़बड़झाला किया। बताया जा रहा है कि इस मामले की अगर बारिकी से जांच हो जाए तो कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। बताया जा रहा है कि आज भी इनका एक हेक्टेयर जमीन अधिक पर कब्जा है। इतना ही नहीं इनके द्वारा संपित्तयों पर इतना अधिक लोन सेेटिंग करके लिया गया है कि उक्त भूमियों की नीलामी प्रक्रिया संपादित नहीं हो पा रही, क्योंकि बाजार मूल्य से अधिक ऋण लेने से खरीददार नहीं मिल रहे हैं।
उच्च न्यायालय जबलपुर ने कहा था- 10 दिन में कब्जा दिलाएं कलेक्टर
जानकारी के अनुसार याचिका क्रमांक 6721/23 पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर ने आदेश पारित कर कहा था कि कलेक्टर 10 दिन के अंदर कब्जा दिलाएं, लेकिन इसके बाद भी कब्जा नहीं मिल सका। इसके साथ ही अतिक्रमण हटाने को लेकर ननि भोपाल ने 16 मार्च 23 को नोटिस देकर कहा था कि रास्ते में किया गया अतिक्रमण हटाए, लेकिन नहीं हटा। न्यायालय के आदेश पर तत्कालीन कलेक्टर अविनाश लवानिया ने टीम भेजी, लेकिन बिना कब्जा दिलाए टीम बेरंग वापिस लौटी। इसके साथ ही 5 जुलाई 23 को राजस्व निरीक्षक के नेतृत्व में दल सीमांकन करने के लिए गया, लेकिन सीमांकन नहीं हो सका। जानकारी के अनुसार लोक सेवा गारंटी अधिनियम में एक माह में सीमांकन किए जाने का प्रावधान है, जबकि समय 1 साल से अधिक हो चुका है, नियमों के उल्लंघन पर जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
आरोप पाए गए निराधार
ऋण वसूली अधिकरण ने प्रकरण क्रमांक एसए 231/2017 में पारित आदेश में साफ कहा है कि सरफेसी एक्ट अंतर्गत कलेक्टर द्वारा दिलाया गया कब्जा वैधानिक रूप से विधिसंगत है, साथ ही ऋणी द्वारा नीलाम संपत्ति पर पहुंचने वाले मार्ग को बंद करना अवैध कृत्य है। इसके साथ ही यह भी शिकायत निराधार पाई गई कि क्रेतागण द्वारा बंैक से मिलकर कम कीमत में बिक्रय किया गया, अधिकरण ने अपने आदेश में साफ कहा है कि विगत तीन नीलामीयों में संपत्ति का मूल्य एक जैसा है, जो अधिकृत दो मूल्यांकनकर्ताओं के मूल्यांकन से अधिक है। इसके साथ ही अधिकरण ने अपने विस्तृत फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के अनेक निर्णयों को न्याय दृष्टांत के रूप में प्रस्तुत किया है।
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