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विधायक को आजादी का जश्न मनाने के लिए बसें उपलब्ध कराना प्रभारी आरटीओ को पड़ा भारी

प्रभारी आरटीओ रंजना कुशवाहा का ट्रांसफर बना चर्चा का विषय

भोपाल । राजधानी भोपाल के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय  ट्रांसपोर्ट नगर में इन दिनों राजनीति अधिकारियों पर भारी पड़ रही है परिवहन कार्यालय में वर्षों से चल रही रिश्वत प्रथा को समाप्त करने का प्रयास प्रभारी आरटीओ रंजना कुशवाहा द्वारा अभी शुरू ही किया गया था कि राजनीति रचित अधिकारी एवं नेताओं की मिली भगत ने रंजना कुशवाहा के मंसूबों पर पानी फेर दिया परिवहन विभाग में चर्चाएं की जा रही है कि आजादी के जश्न के लिए पिछले कई वर्षों से नेताओं को वाहन उपलब्ध करने के प्रथा भोपाल परिवहन कार्यालय में निभाई जा रही थी इस पर कभी भी किसी तरह की कोई आपत्ति किसी ने नहीं ली लेकिन इस बार 15 अगस्त के आजादी के जश्न के लिए राजधानी भोपाल के एक विधायक को प्रभारी आरटीओ द्वारा बसें उपलब्ध कराने का मामला ऐसा तूल पकड़ की भोपाल परिवहन कार्यालय में सिर्फ 15 दिन ही सेवा देने वाली प्रभारी आरटीओ को आगामी आदेश तक आयुक्त कार्यालय ग्वालियर रवाना कर दिया गया सूत्रों की माने तो भोपाल परिवहन कार्यालय में कुछ नेताओं द्वारा बरसों से अपने राजनीति रसूख को हथियार बनाकर अपनी बसों का नियमों के विरुद्ध भी संचालन जोड़ों पर किया जा रहा था उन्हें नेताओं को कहीं ना कहीं लग रहा था कि प्रभारी आरटीओ के प्रभार संभालने के बाद अब मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों की गाज उन पर भी गिर सकती है इसीलिए चोर चोर मौसेरे भाई मिलकर प्रभारी आरटीओ को हटाने का मौका तलाश जा रहा था  विधायक को आजादी के जश्न के लिए बसें उपलब्ध कर दी गई इसका सीधा फायदा परिवहन कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी और उन नेताओं को हुआ जो वर्षों से परिवहन कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों से मिलकर अपनी बस का संचालन कर रहे थे प्रभारी आरटीओ रंजना कुशवाहा के प्रभात संभालने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जल्दी ही भोपाल परिवहन कार्यालय में चल रही दलाली एवं रिश्वतखोरी प्रथा समाप्त हो जाएगी प्रभारी आरटीओ के कार्यभार संभालने के बाद से लगातार जनता को इसका सीधा लाभ मिल रहा था क्योंकि प्रभारी आरटीओ रंजना कुशवाह समय पर आकर कार्यालय में बैठ जाया करती थी और विशेष कर आम जनता के कार्यों पर नजर रख करती थी ताकि उनको अपने जरूरी कार्य करवाने के लिए ना तो परिवहन कार्यालय के चक्कर काटना पड़े और नहीं किसी दलाल के चक्कर में आकर उनको कार्य से अधिक भुगतान करना पड़े ऐसा नहीं है कि भोपाल परिवहन कार्यालय में चल रही रिश्वत के लेनदेन की जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को नहीं है कई बार भोपाल परिवहन कार्यालय में रिश्वत वसूली की खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद मामला भी दबाने का प्रयास किया गया लेकिन कहते हैं ना कि पाप का घड़ा जब भर जाता है तो खुद ही फूट जाता है कुछ ऐसा ही हुआ था परिवहन कार्यालय में चल रहे रिश्वत के लेनदेन के मामले में एआरटीओ अनफा खान द्वारा लिखी गई हिसाब किताब के कागज का टुकड़ा राजधानी भोपाल से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्र को लग गई जिसकी जांच एक्सपर्ट से करवाने पर मालूम चला कि या लिखावट एआईटीओ अनफ़ा खान की ही है इसके बाद लीपापोती का सिलसिला प्रारंभ हुआ और एआरटीओ अनफ़ा खान के साथ-साथ अपना कर्तव्य निभाने में लापरवाही करने पर प्रभारी आरटीओ संजय तिवारी को भोपाल परिवहन कार्यालय कोखता ट्रांसपोर्ट नगर से हटा दिया गया था पहली बार ऐसा हुआ है कि भोपाल परिवहन कार्यालय में पहली बार किसी अधिकारी पर इतनी तेजी से कार्रवाई हुई है नहीं तो 2016 से लेकर 18 तक का करोड़ों रुपए का बस अधिग्रहण घोटाला जांच के आदेश के बाद भी आज तक फाइलें कार्यालय में पड़ी पड़ी धूल खा रहा है बस  अधिग्रहण घोटाले की आज तक ना तो ठीक से जांच हुई है ।