थाना ईटखेङी के ग्राम अरवलिया मे मिक्सिंग और परवाखेङी में पैकिंग की जा रही थी
भोपाल । आला अधिकारियों के सख्त निर्देशों पर माफियाओं के विरुद्ध लगातार हो रहीं कमरतोड़ कार्यवाहियां भी माफिया सरगनाओं में दहशत और खौफ पैदा करने में नाकाफी साबित हो रहीं हैं । राजधानी में शासन प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाने के बाद भी संगठित अपराध की फसल लहलहा रही है । हालांकि संगठित होकर अपराध को अंजाम देते हुए नकली सीमेंट बनाने वाले कदीर की अवैध फैक्ट्री पर रविवार को अपराध शाखा द्वारा कार्यवाही की गई है लेकिन प्रश्न यह है कि माफिया के विरुद्ध लगातार कार्यवाहियों के बाद भी अपराधियों के हौंसले बुलंद क्यों हैं ? शहर को अपराध मुक्त बनाने की मुहिम आखिर कब सार्थक होगी ? भोपाल में नकली और मिलावटी सीमेंट का कारोबार काफी पुराना है और अब इस कारोबार की जड़ें मजबूत हो चुकीं हैं । मुख्य मार्गों से जुड़े भोपाल का ग्रामीण क्षेत्र नकली सीमेंट माफिया की ऐशगाह बना हुआ है । सूत्रों के अनुसार कदीर की फैक्ट्री के अलावा भी कई स्थानों पर अपराधी निडर होकर नकली सीमेंट बनाकर और रिपेकिंग कर लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं ।
क्या है पूरा मामला
दरअसल मुखबिर से प्राप्त सूचना पर रविवार को क्राइम ब्रांच की टीम ने अचारपुरा चौराहे के पास ग्राम अरवालिया और परेवखेड़ा में सीमेंट माफिया कदीर खान के ठिकानों पर छापेमारी कर बड़ी कार्यवाही की । जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय निवासी कदीर लंबे समय से अरवलिया व परवाखेङा मे जगह बदल बदल कर किराए के मकानों में मिलावटी सीमेंट की फैक्ट्री संचालित कर रहा था । सीमेंट फैक्ट्री में पुरानी जमी हुई और खराब सीमेंट को पीस कर उसमें गिट्टी की डस्ट आदि मिलाया जाता था, जिसके बाद उक्त नकली सीमेंट को बड़े बड़े ब्राण्डों के बारदानों में भरकर बाजार में खपाया जाता था । कदीर के गोदाम मे भी पुरानी डल्लेवाले सीमेन्ट की छनाई ओर क्रेशर की डस्ट की छनाई का काम एवं बोरियो की रिपैकेजिंग का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा था, नकली सीमेन्ट की हज़ारों बोरियां, क्रेशर की डस्ट, अल्ट्राट्रेक, ए सी सी सहित कई नामचीन सीमेन्ट ब्रांड के हजारो खाली नए वारदाने, सीमेन्ट पीसने की मसीन, व इलेक्ट्रानिक तोल काटा मौके पर मिलना इसकी पुष्टि करते हैं ।
शासकीय कार्यों में उपयोग हो रहा नकली सीमेंट, क्या जांच रहे इंजीनियर ?
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार कदीर की फैक्ट्री में निर्मित नकली सीमेंट का उपयोग ग्राम पंचायत खजूरी रताताल में हुए सड़क व नाली निर्माण में हुआ है, पुलिस ने खजूरी राताताल के सरपंच विनय सिंह अहिरवार को हिरासत मे लेकर पूछताछ शुरू कर दी है जिसमे कई राज खुलने की संभावनाएं हैं । सूत्रों की मानें तो नकली सीमेंट की खपत बड़ी मात्रा में पंचायतों में हो रहे निर्माण कार्यों में हो रही है, और आर ई एस के इंजीनियरों द्वारा मात्र कागजों पर ही गुणवत्ता परखी जा रही है । अब सवाल यह है कि मोटी पगार पाने वाले सरकारी इंजीनियरों की पकड़ में नकली सीमेंट क्यों नहीं आती, जबकि उनका काम ही ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों की गुणवत्ता को परखना होता है । यह अलग बात है कि नकली सीमेंट का उपयोग शासकीय कार्य मे करने वाले सरपंच से पुलिस जांच में क्या क्या सामने आता है, पर उससे बड़े दोषी और सख्त कार्यवाही के पात्र वे इंजीनियर भी हैं जो घटिया व नकली सीमेंट से हुए निर्माण को सही साबित करते हैं ।
इनसे भी चल रही पूछताछ
अवैध सीमेंट फैक्ट्री एवं गोदाम के मकान मालिको के विषय मे भी पुलिस द्वारा जानकारी जुटाई जा रही है, जांच उपरांत दोषी मकान मालिको पर वैधानिक कार्यवाही की जायेगी । नकली सीमेंट बनाने के इस गोरखधंधे मे कदीर का साला इमरान मुख्य सहयोगी है, वहीं फैक्ट्री मे काम करने वाले श्यामगिर एवं गोदाम मे काम करने वाले चैनसिंह को हिरासत मे लेकर पूछताछ की जा रही है ।
*कोलार क्षेत्र में सेंट्रिंग खोलते ही गिर गई थी छत*
यूं तो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल देश-दुनिया में अलग-अलग चीजों को लेकर अपनी भिन्न पहचान रखता है, लेकिन आजकल भोपाल मिलावटी और नकली सीमेंट के कारोबार में भी अपने नई पहचान बड़े स्तर पर बना रहा है । कुछ समय पहले वायरल हुए एक वीडियो पर यदि गौर किया जाए तो एक आम आदमी ने राजधानी के एक प्रतिष्ठित सीमेंट व्यापारी से सीमेंट खरीद कर अपने सपनों का आशियाना सजाने की कोशिश की थी पर छत की सेंट्रिंग खुलते ही आशियाने की छत धड़ाम से जमीन पर आ गिरी । नतीजतन वीडियो बनाने वाले ने पुराने भोपाल के उस प्रतिष्ठित व्यापारी के नाम पते के साथ वीडियो वायरल कर दिया । वायरल वीडियो की तहकीकात करने पर असलियत मालूम हुई की भोपाल में सीमेंट में जीरा गिट्टी का पाउडर, राख जैसी चीजें मिलाने का और सरकारी सप्लाई में उपयोग होने वाले नॉन ट्रेड सीमेंट की रीपैकिंग कर ब्रांडेड बोरियों में डालकर बेचने का यह मकड़जाल सामने आया । जब मामले की तह में उतर कर देखा गया तो असलियत कुछ ऐसे उजागर हो गई जैसे रात के बाद सवेरा उजागर होता है, एक के बाद एक सीमेंट माफियाओं के नाम और शक्ल मीडिया के सामने आती गई । इस मामले में पुलिस विभाग के आला अफसरों ने चर्चा के दौरान शिकायत प्राप्त होने पर कठोरतम कार्यवाही करने की बात की, तो वहीं दूसरी ओर देखने में आया है कि नाप तोल, आपूर्ति, गुणवत्ता एवं पुलिस विभाग के छोटे अधिकारियों की सीमेंट माफिया पर कार्यवाही करने की नियत ही नहीं है । शासकीय कार्यों में उपयोग होने वाली सीमेंट की रीपैकिंग करने और मिलावटी सीमेंट तैयार करने वाले कुछ ठिकानों पर यदि प्रभावी कार्यवाही हो जाये तो सीमेंट माफिया को संरक्षण देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत भी सबके सामने आ जायेगी ।
*मिलावटी सीमेंट माफिया की ऐशगाह बन रहा भोपाल*
राजधानी के सीमेंट माफिया इन दिनों जमकर चांदी काट रहे हैं, शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मिलावटी और रीपैकिंग वाली सीमेंट की फैक्ट्रियां संचालित कर आमजनों के साथ शासन को भी जमकर चूना लगा रहे हैं । पुराने भोपाल क्षेत्र के विदिशा रोड स्थित कुछ सीमेंट गोदामों की तफ्तीश करने पर सीमेंट माफिया के गोदामों में शासकीय उपयोग में आने वाली (नॉन ट्रेड) सीमेंट बड़ी मात्रा में पाई जाती है, जिसको खोलकर उसमें जीरा गिट्टी का पाउडर मिलाकर बड़े ब्रांडों के बारदाना में भरकर पूरी कीमत पर लोगों को बेचा जा रहा है । कई प्रतिष्ठित सीमेंट व्यापारी भी इस प्रकार का मिलावटी और रीपैक सीमेंट धड़ल्ले से बेच रहे हैं, ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को इस काले कारनामे की खबर नहीं है लेकिन फिर भी अधिकारियों द्वारा सीमेंट माफिया पर कोई बड़ी कार्यवाही ना करना अघोषित रूप से उन्हें संरक्षण देता हुआ नजर आ रहा है
आखिर क्या है यह पूरा गोरखधंधा
इस कारनामे से जुड़े कुछ लोगों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि छोला स्थित सीमेंट के रैक से भरकर जाने वाले ड्राइवरों से सीमेंट माफियाओं की तगड़ी सेटिंग होती है, यह ड्राइवर निर्धारित स्थान पर कम सीमेंट की बोरियों पहुंचाकर चोरी की गई सीमेंट इन दुकानदारों को ना के बराबर कीमत में बेच देते हैं । माफिया के गोदामों में इन बोरियों को बड़े ही साफ-सुथरे ढंग से खाली कर सीमेंट में डस्ट (जीरा गिट्टी का पाउडर ) व राख जैसी चीजों को मिला दिया जाता है, उसके बाद पुनः उस मिलावटी सीमेंट को उन्हीं बोरियों में चुंगे के माध्यम से भर दिया जाता है ।
सूत्रों के अनुसार शासकीय कार्यों में उपयोग आने वाली सीमेंट जिसे आम बोलचाल की भाषा में नॉन ट्रेड के नाम से जाना जाता है, उसमें भी जीरा गिट्टी का पाउडर आदि मिलाकर बड़े सीमेंट ब्रांडों के खाली बारदानों में भरकर बाजार में खुलेआम बेचा जा रहा है, इससे लोगों की को तो चपत लग ही रही है, कहीं ना कहीं शासन को भी जमकर लूटा जा रहा है और ब्रांडेड सीमेंट कंपनियों को भी बदनाम करने की साजिश की जा रही है ।
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