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अवैध कालोनाइजरों पर प्रशासन की कार्यवाही बेअसर, अवैध प्लाटिंग जारी

छोला थाना में मात्र पांच भू माफियाओं पर हुई एफआईआर, जबकि दर्जनों लोग लिप्त हैं इस गोरखधंधे में


(फाइल फोटो)


भोपाल । ग्रामीण अंचलों में चल रही अवैध प्लाटिंग साइटों पर पुलिस और प्रशासनिक  अधिकारियों के नेतृत्व में की गई कार्यवाही को नाकाफी और बे असर साबित करते हुए अवैध कालोनाइजरों द्वारा प्लाटिंग जारी है । जिसकी जानकारी लगातार मीडिया को मिल रही थी, प्राप्त जानकारी की पुष्टि हेतु रविवार को मीडिया टीम ने विदिशा रोड पर स्थित मालीखेड़ी व खेजड़ा में भ्रमण कर इस मामले की हकीकत को परखा, इस दौरान  कई जगह प्लाटिंग साइटों का प्रचार प्रसार करती केनोपी लगी मिलीं तो कही सस्ते दामों पर प्लाट उपलब्ध हैं के बैनर भी लगे दिखाई दिए । गोविंदपुरा तहसील के अंतर्गत आने वाले इन क्षेत्रों में शासकीय कार्यवाही की धमक कम होते ही कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग का व्यापार अब फिर तेज़ी पकड़ने लगा है । 
राजधानी के समीपस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि पर सस्ती दरों में आवासीय प्लाटों और भूखंडों को बेचने के बाद खरीददार बाद में परेशान होते रहते हैं, बिजली पानी सड़क सीवेज और नाली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं । वहीं कालोनी के अवैध होने व आवश्यक अनुमतियों के अभाव में प्रशासन को भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है । 
प्लाटिंग के कार्य से जुड़े कई कॉलोनाइजर और बिल्डर्स प्लॉट बेचने के लिए लुभावने वादे करते हुए भव्य गेट बनाने का, रोड बनाने का, सीवेज ड्रेनेज सिस्टम का, पार्क मंदिर बनाने जैसे कई वादे अपने ब्रोशर या अन्य दस्तावेजों में लिख लेते हैं, किंतु सालों पहले बिकी कई कालोनियों के भूखंडों की स्थिति आज भी खेतों जैसी ही है । नतीजतन वहां पहुंचने के लिए पर्याप्त रोड़ों तक की व्यवस्था कॉलोनाइजरों द्वारा नहीं की जाती है, वहीं दूसरी ओर शासकीय अनुमतियों के न होने के कारण यदि लोग वहां निवास भी करने लगे तो उन्हें मूलभूत सुविधाएं सुविधाएं मिलने में काफी समय लग जाता है ।
हालांकि अवैध कालोनाइजरों पर प्रशासन की कार्यवाहियां लगातार जारी हैं, और इनपर एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही को और अधिक सख्त भी बनाया जा रहा है जिससे लोगों को इनके द्वारा की जा रही धोखाधड़ी से बचाया जा सके । इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों ने आमजनों से अपील की है कि वे प्लाट खरीदने से पहले विक्रेता या कालोनाइजरों  द्वारा प्राप्त शासकीय अनुमतियों की विधिवत जांच करें, और इसके बाद ही भूखंड क्रय करें । अनुविभागीय अधिकारी गोविंदपुरा मनोज वर्मा ने मीडिया के माध्यम से आमजनों  से अपील करते हुए कहा कि संबंधित कालोनाइजर या बिल्डर से रेरा अनुमति, टीएंडसीपी से जमीन का एप्रूव्ड नक्शा, जहां जमीन है, उससे संबंधित क्षेत्र के एसडीएम (अनुविभागीय अधिकारी) द्वारा जारी भूमि का डायवर्सन, नगर निगम से कालोनी विकास अनुमति, तथा संबंधित नजूल कार्यालय की नजूल एनओसी जिसमे प्रमाणित हो कि उक्त भूमि शासकीय नहीं है  आदि अवश्य देखें । जिन कालोनाइजरों के पास सभी वैध अनुमतियाँ उपलब्ध हों उनसे ही प्लाट खरीदना सुनिश्चित करें ।
श्री वर्मा के अनुसार विक्रय पत्र का पंजीयन एवं अनुबंध का पंजीयन कराया जाना अनिवार्य है, जोकि जोकि क्रेता के अधिकार सुरक्षित करता है । इसे न्यायालयीन कार्रवाई में बतौर साक्ष्य प्रस्तुत किया जा सकता है, जो भी बिल्डर-कॉलोनाइजर कालोनी विकसित कर रहा है, उसके पास सक्षम अधिकारी द्वारा जारी कॉलोनाइजर लाइसेंस उक्त भूमि के लिए होना चाहिए। 
गौरतलब है कि विदिशा रोड के आसपास कृषि भूमि पर आवश्यक शासकीय अनुमतियों के बिना अवैध प्लाटिंग करने वाले विनोद कुमार सिंह, गैंदालाल, जमनेश साहू व रामभरोसे साहू सहित एक महिला पर छोला थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी, आरोपियों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था । विनोद कुमार सिंह पर शासकीय जमीन पर कब्जा कर बेचने का भी आरोप है परंतु इतना समय बीतने के बाद भी पुलिस किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नही कर पाई है । सूत्रों की माने तो इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवैध प्लाटिंग साइटें चल रही है जिनके दर्जनों संचालकों में सिर्फ कुछ ही लोगो पर कार्यवाही की गई है और वह भी विवेचना और गिरफ्तारी के बीच उलझ कर रह गयी है । मुँहदेखी और बे असर प्रशासनिक कार्यवाही का कोई प्रभाव न दिखने से अवैध प्लाटिंग माफिया के हौंसले बुलंद हो चले हैं और वे प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए अपनी मनमानी पर उतारू हैं 


इनका कहना है 


शासकीय अनुमतियों के बिना अवैध रूप से प्लाटिंग करने वालों पर पूर्व में भी कार्यवाही की गई है, अवैध प्लाटिंग की शिकायत प्राप्त होने पर आगे भी कठोरतम कार्यवाही की जाएगी ।
मनोज वर्मा
एसडीएम, गोविंदपुरा