सादे कागज पर ही ग्राम पंचायत मुगालिया छाप ने कर दिया ठेकेदार को एक लाख 5000 का भुगतान
भोपाल । एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कमर कसे हुए हैं और भ्रष्टाचार खत्म करने के नए तरीके देकर ठोस कदम उठाकर कैशलेस व जीएसटी प्रणाली को बढ़ावा दे रही है । लेकिन इस प्रणाली को जिले में प्रशासनिक अधिकारी, सरपंच, सचिव, सब इंजीनियर ने अपनी कमाई का धंधा बना रखा है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रष्टाचार सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही जा रहा है । हाल ही में फंदा एवं बेरसिया जनपद पंचायत में मजदूरी के नाम से सादे कागजों पर भुगतान का मामला सामने आया था, अब फिर ऐसे ही कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें फर्जी बिलों के सहारे लाखों रुपए का लेन-देन किया गया है। ऐसे भुगतानों में कई चौंकाने वाले मामले सामने अाए हैं कई पंचायतों में अमित त्रिपाठी कंट्रक्शन के मजदूरी एवं जेसीबी के किराया भुगतान कर लिए सादे कागज पर बिल लगाए गए हैं, जिससे शासन के टैक्स की चोरी की गई । इन पंचायतों में और भी कई पंचायतों में फर्जी फर्म द्वारा रेत, गिट्टी, सीमेंट, मजदूरी के नाम पर पंचायतों में लाखों के बिल लगा रखे हैं ऐसी दर्जनों पंचायतें हैं जिसमें टैक्स की चोरी हुई है।मुगालिया छाप पंचायत में अमित त्रिपाठी के नाम के बिल लगाए गए हैं जिनमे मज़दूरी व मशीनों का किराया दर्शाया गया है, जबकि टैक्स जानकारों के अनुसार मशीनरी किराए से देने व लेबर सप्लाई पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होता है । विभिन्न भुगतान के लिए संबंधितों ने इस तरह के फर्जी बिल पंचायत में लगाए गए।
*कंपोजीशन लाइसेंस वालों को बिल देने का अधिकार नहीं*
सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के लिए देश में जीएसटी प्रणाली लागू की है, जिसके अनुसार कंपोजीशन लाइसेंस वाला जैसे कोई सप्लायर रेत गिट्टी आदि के बिल नहीं दे सकते हैं क्योंकि ये लाइसेंस धारक सिर्फ ट्रेडिंग ही कर सकते हैं । कंपोजीशन लाइसेंस में एक परसेंट टैक्स क्रय-विक्रय में देना पड़ता है और मजदूरी के बिल में सर्विस प्रोवाइडर के रूप में 18% टैक्स देना होता है । यदि बिना जीएसटी नंबर के बिल या GST नंबर डाल कर गलत बिल दिया हो तो ऐसे प्रत्येक बिल में दस हजार की पेनल्टी व 100% जुर्माना का प्रावधान है । सख्त नियम कायदों के बाबजूद भ्रष्टाचार की सभी सीमाये सरपंच सचिव ठेकेदारों और जनपद के आला अधिकारीयों ने मिलकर तोड़ दी है। टैक्स जानकारों के अनुसार ढाई लाख रुपए के ऊपर के बिलों में 2% टीडीएस काटना पंचायत को अनिवार्य है, और तो और कई पंचायतों में धड़ल्ले से बंद हुए टिन नंबर के बिल लगाकर शासकीय नियम को ताक पर रख दिया जबकि यह नियम सम्मत नहीं है । अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन पंचायतों में चल रही टैक्स चोरी पर कड़ी कार्रवाई कर पैनल्टी वसूल करता है या नहीं, और कार्यालयों में बैठे हुए जिम्मेदारों व शासकीय योजना की राशि को डकारने वाले माफियाओं के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है ।
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