_विभाग को बदनाम कर रहा है रिश्वतखोर अधिकारी_
वन विभाग के डिप्टी रेंजर सहित एक कर्मचारी पर बीस हजार की रिश्वत लेने का आरोप
भोपाल । वन विभाग के अधिकारियों की कारगुजारियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं रिश्वतखोरी इतनी बढ़ गई है कि लोग अब तंग होकर आला अधिकारियों को लिखित शिकायत करने पर मजबूर हो गए हैं । सीहोर के आरा मशीन संचालक से जब्त माल को वापस दिलवाने का ताजा मामला सामने आया है ।
बॉक्स 1
आखिर क्या है पूरा माजरा
सीहोर निवासी शिवम राय आरा मशीन के संचालक हैं, मंगलवार को मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि विगत अगस्त माह में सत्कट की लकड़ी से भरे हुए एक वाहन को वन विभाग के टीम ने पकड़ा था जिस मामले में ₹30000 का जुर्माना लगाकर वाहन मालिक के सुपुर्द कर दिया गया लेकिन जप्त माल को छुड़ाने की स्थिति ना होने पर आरा मशीन संचालक में उक्त माल को राजसात कर लेने का आवेदन अधिकारियों को प्रस्तुत किया किंतु बाद में आर्थिक स्थिति ठीक होने पर मशीन संचालक द्वारा जब आपने माल को प्राप्त करने हेतु जब कार्यवाही की गई तब डिप्टी रेंजर राजकरण चतुर्वेदी द्वारा ₹20000 की रिश्वत की मांग की गई । आरा मशीन संचालक द्वारा यह रिश्वत दो अधिकारियों राज किरण चतुर्वेदी तथा भानु प्रताप सिंह को दे दी गई है । किंतु इसके बाद भी आज दिनांक तक ना तो रिश्वत के पैसे वापस हुए हैं और ना ही माल का पता ठिकाना है ।
इस बात से आहत होकर आरा मशीन संचालक शिवम राय ने डिप्टी रेंजर राजकरण चतुर्वेदी और भानु प्रताप सिंह की लिखित शिकायत डीएफओ भोपाल को की है । लेकिन विडंबना यह है कि लगभग डेढ़ माह पूर्व की गई शिकायत पर भी आला अधिकारियों ने अभी तक सिर्फ आश्वासनों की और जांच होने की घुट्टियाँ ही पिलाई हैं, वहीं दूसरी ओर गौर करने वाली बात यह भी है कि इन अधिकारियों के लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त होने की शिकायतें और खबरें बार-बार सामने आने पर भी अधिकारियों द्वारा क्यों इन पर उचित वैधानिक कार्यवाही नहीं की जाती ।
पूर्व में भी लग चुके हैं इन पर आरोप
कुछ समय पूर्व बैरसिया क्षेत्र से लकड़ी भरकर आने वाली गाड़ियों से अवैध वसूली भी इन अधिकारियों द्वारा की जा रही थी । उस संबंध में भी भोपाल डीएफओ सहित आला अधिकारियों को शिकायतें की गई थी किंतु हमेशा की तरह नतीजा सिफर रहा और यह अधिकारी खुलेआम वन विभाग को बदनाम करते हुए रिश्वतखोरी के कांड को अंजाम देते घूम रहे हैं ।
इस संबंध में डीएफओ भोपाल से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने व्यस्त होने का हवाला देते हुए शाम को चर्चा करने की बात कही किंतु शाम से लेकर खबर लिखे जाने तक डीएफओ साहब ने फोन पर बात करना उचित नहीं समझा
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