मामला बस ऑपरेटरों से शासकीय राशि की वसूली का_
जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता ने बनाया मामले को संदिग्ध
भोपाल । अधिकारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के पत्रों का जवाब ना देना या उन पत्रों पर कार्यवाही ना करना वैसे तो कोई बात नई बात नहीं है, किंतु इस मामले में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा की अब कलेक्टरों पर भी अधिकारी अब भारी पड़ने लगे हैं । दरअसल कलेक्टर रायसेन कार्यालय द्वारा जारी पत्र के अनुसार मामला यह है कि विगत 12 फरवरी 2018 को भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित हुए भावांतर भुगतान कार्यक्रम में रायसेन जिले के कृषकों को लाने ले जाने के लिए तीन सौ बसें उपलब्ध कराने के लिए कुल किराए की 80% राशि का अग्रिम भुगतान बस ऑपरेटरों के खाते में करने की अनुशंसा आरटीओ भोपाल द्वारा की गई थी । परिणाम स्वरूप 38 लाख 40 हजार रुपए की राशि अनुशंसित बस ऑपरेटरों के बैंक खातों में आरटीजीएस के माध्यम से प्रदान की गई थी, किंतु इस मामले में मोड आना वहां से प्रारंभ हुआ जब आयोजन में उपस्थित बसों की संख्या निर्धारित बसों की संख्या से काफी कम पाई गई । मामले की पड़ताल और विकास खंडों के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों तथा वाहन प्रभारियों द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारीयों के बाद बस ऑपरेटरों द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल भी अनुचित पाए गए । इस संबंध में रायसेन कलेक्टर कार्यालय से आरटीओ भोपाल को जारी पत्र में बिलों की खामियां ठीक करने और बिलों के सत्यापन हेतु लिखा गया साथ ही वास्तविक उपस्थित बसों की संख्या ज्ञात कर बांकी ऑपरेटरों से राशि की वसूली हेतु 7 दिनों की समय सीमा भी तय की गई ।
किंतु इस संबंध में आज दिनांक तक वसूली की कार्यवाही नहीं हो पाई है, जिसका सीधा सीधा कारण यह है कि आरटीओ भोपाल द्वारा अब तक ऑपरेटरों द्वारा प्रस्तुत बसों के बिलों का सत्यापन कर रायसेन कलेक्टर को अवगत नहीं कराया गया है ।जबकि इस संबंध में रायसेन कलेक्टर द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट लेख है कि 7 दिन के अंदर बस ऑपरेटरों से राशि की वसूली कर ली जाए, बावजूद इसके भोपाल आरटीओ संजय तिवारी का गैर जिम्मेदाराना रवैया यहां भी भारी पड़ गया, उन्होंने मीडिया से अनौपचारिक चर्चा में यह भी कह डाला कि आप लेखाधिकारी गुणवंत सेवतकर से बात कीजिए । वहीं लेखाधिकारी गुणवंत ने बताया की ऐसा कोई मामला मेरी जानकारी में नहीं है, आप यह पत्र लाए हैं तो इस पर कार्यवाही की जाएगी । इन दोनों अधिकारियों की बातों पर यदि गंभीरता से गौर किया जाए तो यह देख कर बड़ा आश्चर्य होता है की भोपाल आरटीओ कार्यालय में कलेक्टर के पत्र का किस प्रकार से मजाक बनाया जा रहा है । बात यही खत्म नहीं होती हमारे संवाददाता ने इस संबंध में जब रायसेन कलेक्टर से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने पत्र जारी करने की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि अधिक जानकारी के लिए आप उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास रायसेन से चर्चा कर लीजिए लेकिन हद तो तब हो गई जब 4 दिन परेशान होने के बाद भी उप संचालक महोदय ने पत्रकारों का फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा । ऐसे में यही समझा जा सकता है कि या तो अधिकारियों के पास राशि की वसूली करने का समय नहीं है या फिर अधिकारी खुद बस संचालकों से वसूली करना नहीं चाहते । बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान हर हाल में अधिकारी सिर्फ खुद को ही सही साबित कर रहे हैं ।
*इनका कहना है-*
1- मेरे लेखाधिकारी पत्र का परीक्षण कर रहे हैं, जिसके उपरांत बस संचालकों को नोटिस जारी किए जाएंगे
संजय तिवारी
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी भोपाल
2- मुझे अभी तक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है आपने जानकारी दी है तो मैं आगे कार्यवाही कराता हूं बाकी चर्चा आप आरटीओ साहब से ही कीजिए
गुणवंत सेवतकर
लेखाधिकारी
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय भोपाल
3- अभी तक बस आपरेटरों से कोई रिकवरी नहीं की जा सकी है हालांकि भोपाल आर टी ओ साहब नए बस संचालकों को पत्र जारी किए हैं ।
रितेश तिवारी
जिला परिवहन अधिकारी
रायसेन
4- मेरे द्वारा संबंधित अधिकारियों को बस ऑपरेटरों से वसूली करने हेतु चिट्ठी लिखी गई थी किंतु अभी तक अधिकारियों का कोई जवाब नहीं आया है ।
उमाशंकर भार्गव
कलेक्टर रायसेन
(इनसे होना है 9 लाख 91 हजार रुपए की वसूली)
श्री राम ट्रैवल्स की निर्धारित बसों की संख्या 100 थी वही बिलों में बसों की संख्या 74 दर्शाई गई है, किंतु वास्तविक प्राप्त बसों की संख्या 52 है । ऐसी स्थिति में श्री राम ट्रेवल्स को प्राप्त अग्रिम राशि 12 लाख 80 हज़ार रुपए मैं से वास्तविक प्राप्त बसों के किराए 8 लाख 96 हज़ार का समायोजन कर तीन लाख 84 हजार रुपए की राशि वसूली जानी है, उक्त राशि पर 17 माह हेतु 14 प्रतिशत ब्याज मिलाकर वसूली की राशि 4 लाख 60 हज़ार रूपय हो रही है ।
ठीक ऐसे ही जय श्री बालाजी ट्रेवल्स की निर्धारित बसों की संख्या 50 बताई गई किंतु बिलों में 48 बसें दर्शाई गयी, जबकि वास्तविक प्राप्त बसों की संख्या 34 ही रही । जय श्री बालाजी ट्रेवल्स को प्राप्त अग्रिम भुगतान राशि 6 लाख 40 हज़ार रुपये में से वास्तविक प्राप्त बसों का भुगतान 5 लाख 11 हज़ार समायोजित कर एक लाख 29 हजार रुपए की राशि पर 17 माह हेतु 14 प्रतिशत की दर से 26 हज़ार रुपए ब्याज लगाकर 1लाख 55 हज़ार की राशि वसूल की जानी है ।
एक अन्य बस ऑपरेटर संस्था विरदी चंद्र राठौर की 100 बसें निर्धारित की गई थी, इनके बिलों में 83 बसें दर्शाई जा रही हैं, किंतु आंकड़ों पर गौर करें तो केवल 52 बसें ही वास्तविक रूप से प्राप्त हुई । विरदी चंद्र राठौर को अग्रिम भुगतान के रूप में 12 लाख 80 हज़ार रुपए का भुगतान किया गया किंतु वास्तविक प्राप्त बसों की संख्या का किराया 9 लाख 66 हजार समायोजित करने के पश्चात 3 लाख 14 हज़ार की रिकवरी विरदी चंद्र राठौर पर बाकी है । जिसपर प्रतिशत के हिसाब से 17 महीनों का ब्याज 62 हज़ार रूपय होता है, कुल मिलाकर यह वसूली राशि 3 लाख 76 हजार हो जाती है ।इस प्रकार कुल 9 लाख 91हज़ार की राशि इन तीन बस ऑपरेटरों से वसूल की जानी है ।
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